जानिए क्या होता है ग्रहण (What Is Eclipse In Hindi) –
पूरी दुनिया में दो तरह के ग्रहण लगते हैं जिनमें से एक ग्रहण चांद पर लगता और दूसरा सूर्य पर लगता है. जहां पर सूर्य पर लगने वाले ग्रहण को सूर्य ग्रहण के नाम से जाना जाता है. वहीं चांद पर लगने वाले ग्रहण को चंद्र ग्रहण के नाम से जाना जाता है. सूर्य ग्रहण और चंद्रमा ग्रहण कई प्रकार के होते है. वहीं इस साल भी कई सारे सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण लगने जा रहे हैं.
कब होता है सूर्य ग्रहण (What Is Solar Eclipse In Hindi)
जब सूरज और धरती के मध्यम में चंद्रमा आ जाता है तो उस वक्त सूरज पर ग्रहण लग जाता है. चंद्रमा के बीच में आने के चलते धरती में से सूरज का वो हिस्सा नहीं दिखता है जिसमें चंद्रमा की छाया पड़ती है. ऐसा होने पर सूरज का कुछ हिस्सा काला हो जाता है.
कितने प्रकार के होते हैं सूर्य ग्रहण-
पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Eclipse)- जब पूरे सूरज को चंद्रमा द्वारा ढक दिया जाता है तब चंद्रमा धरती के बेहद नजदीक होता है और सूरज और धरती के बीच में होता है. ये ग्रहण हमेशा अमावस्या को ही लगता है
आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial eclipse)- आंशिक सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूरज का केवल कुछ हिस्सा चंद्रमा द्वारा कवर या ढक्क लिया जाता. इस प्रकार के ग्रहण में सूरज का कुछ हिस्सा काला दिखाई देता है.
वलयाकार सूर्य ग्रहण (annual solar eclipse) – इस प्रकार के ग्रहण में सूर्य का केंद्र यानी मध्य हिस्सा चंद्रमा द्वारा ढक लिया जाता है.ऐसा होने से केवल इसके किनारे दिखते हैं और ऐसा होने से सूर्य एक रिंग यानी अंगूठी की तरह दिखता है और उसका बीच का हिस्सा काला होता है.
संख्या | सूर्य ग्रहण का नाम | ग्रहण के समय सूरज कैसे दिखता है |
1 | पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total eclipse) | |
2 | आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial eclipse) | |
3 | वलयाकार सूर्य ग्रहण (annual solar eclipse) |
हिंदू धर्म के अनुसार सूर्य ग्रहण लगने की पौराणिक कथा?
जहां पर वैज्ञानिको के अनुसार ये एक खगोलीय स्थिति है, वहीं हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण लगने के पीछे एक कहानी छुपी हुई है, जो कि समुद्र मंथन से नाता रखती है. इस पौराणिक कथा के मुताबिक जिस वक्त अमृत निकला था उस वक्त ये असुरों के हाथ लग गया था. असुरों से इसे वापसी हासिल करने हेतु विष्णु ने मोहिनी नामक लड़की का रुप ले लिया था और असुरों से इसे वापस हासिल कर लिया था. इसे वापस हासिल करने के बाद इस अमृत को देवताओं को पीने के लिए दिया जाने लगा और इसी दौरान इन देवताओं में राहु जो कि असुर था वो भी इसे पीने के लिए बैठ गया. देवता राहु को पहचान नहीं पाए और उसने अमृत का सेवन कर लिया था. वहीं अमृत पीने के बाद जब देवताओं को पता चला की ये असुर है तो विष्णु जी ने अपने चक्र से उसकी गर्दन काट दी. लेकिन अमृत का सेवन करने की वजह से वो अमर हो गया था और उसका सिर और बाकी हिस्सा दो ग्रह पर जा गिरे जिनका नाम राहु और केतु था.वहीं ऐसा कहा जाता है कि इसी हादसे के चलते सूर्य और चंद्रमा पर ग्रहण लगते हैं और कुछ वक्त के लिए इनकी चमक कम हो जाती है. गौरतलब है कि सूर्य और चंद्रमा हिंदू धर्म के देवताओं के नाम हैं.
साल 2019 में लगने वाले सूर्य ग्रहण की जानकारी (Solar Eclipse 2019 Timing and Date)
वर्ष 2019 में चार बार सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है और ये सूर्य ग्रहण कब कब लगेगा इनकी जानकारी इस प्रकार है-
संख्या | कब लगेगा | किस प्रकार का होगा | कहां दिखेगा |
पहला सूर्य ग्रहण | 2019, जनवरी 06 | आंशिक सूर्य ग्रहण | भारत में नहीं दिखेगा |
दूसरा सूर्य ग्रहण | 2019 जुलाई 02 | पूर्ण सूर्यग्रहण | भारत में नहीं दिखेगा |
तीसरा सूर्य ग्रहण | 2019 दिसंबर 26 | वलयाकार सूर्य ग्रहण | भारत में दिखने वाला है |
सूर्य ग्रहण के दिन क्या करना चाहिए –
भारत में सूर्य ग्रहण को देखना शुभ नहीं माना जाता है और कहा जाता है कि इसको देखने से नुकसान होता है.हालांकि अन्य देशों में ग्रहण को काफी उत्सुकता के साथ देखा जाता है. वहीं भारत में इस ग्रहण के वक्त किसी भी चीज का सेवन नहीं किया जाता है और साथ में ही घर में मौजूद खाने की चीजों में तुलसी के पत्तों को डाला जाता है.
इस ग्रहण के दौरान लोगों को खुले स्थान पर ना जाने की सलाह दी जाती है साथ में ही ग्रहण लगने के वक्त मंदिरों को भी बंद कर लिया जाता है.
सूर्य ग्रहण के दौरान इससे निकलने वाली रोशनी आंखों के लिए उत्तम नहीं मानी जाती है इसलिए कहा जाता है कि इसे देखने के लिए विशेष तरह के चश्मा पहनना होता है.