आज है शरद पूर्णिमा, इस दिन चांद की किरणें होती हैं अमृत के सामान

शरद पूर्णिमा 2019 (Sharad Purnima 2019) : हर महीने एक पूर्णिमा आती है और पूर्णिमा के दिन चांद देखना शुभ माना जाता है. हर साल 12 पूर्णिमा आती हैं और इन्हीं पूर्णिमा में से शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2019) बेहद ही खास होती है. शरद पूर्णिमा का व्रत रखना बेहद शुभ माना जाता है और शरद पूर्णिमा का व्रत रखने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है. तो आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा से जुड़ी कथा और शरद पूर्णिमा 2019 में कब है.

शरद पूर्णिमा 2019 (Sharad Purnima Dates, Schedule and Timing 2019)

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा (sharad purnima 2019 in hindi) कहा जाता है. शरद पूर्णिमा अक्टूबर महीने में आ रही है शरद पूर्णिमा पूर्णिमा 13 तारीख को कितने बजे तक शुरू होगी और कब तक रहेगी इसकी जानकारी इस प्रकार.

Sharad Purnima Dates, Schedule and Timing 2019

किस दिन है शरद पूर्णिमा शरद पूर्णिमा का समय
13 अक्‍टूबर 00:36 मिनट से ही शुरू हो जाएगी
 14 अक्टूबर 2:37 मिनट से ही शुरू हो जाएगी

 

शरद पूर्णिमा से जुड़ी पौराणिक मान्यताओं (sharad purnima 2019 in hindi)

कई लोगों का ऐसा माना है कि इस दिन ही माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था. इसलिए कई लोग इस दिन मां लक्ष्मी का व्रत रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं. जबकि एक अन्य कथा के अनुसार इस दिन ही भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ रास लीला रचाई थी. कई लोग शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा, कोजागर पूर्णिमा और कौमुदी व्रत के नाम से पुकारते हैं.

शरद पूर्णिमा के व्रत से एक कथा जुड़ी हुई है. इस कथा के अनुसार एक सेठ हुआ करता था और इस सेठ की दो बेटियां थी. सेठ की दोनों बेटियां शरद पूर्णिमा का व्रत रखती थी. लेकिन छोटी बेटी सच्चे मन से ये व्रत नहीं करती थी और इस व्रत को अधूरा छोड़ देती थी. जबकि बड़ी बेटी सच्चे मन से ये व्रत रखती थी.

शादी के बाद सेठ की छोटी बेटी काफी परेशान रहने लगी क्यों उसको जब भी कोई संतान होती वो मर जाती थी. एक दिन सेठ की छोटी बेटी ने एक पंड़ित से ऐसा होने का कारण पूछा. तब पंड़ित ने कहा कि तुम शरद पूर्णिमा का व्रत सही से नहीं रखती थी. इसलिए तुम्हारे साथ ये सब हो रहा है. सेठ की छोटी बेटी ने पंडित की बात सुनने के बाद ये व्रत सच्चे मन से रखना शुरु कर दिया. जिसके बाद इसको एक बच्चा हुआ और वो जन्म लेते ही मर गया. लेकिन बड़ी बहन के छूने से ही ये बच्चा जीवित हो गया. क्योंकि बड़ी बहन शरद पूर्णिमा के व्रत को सच्चे मन से रखती थी. तभी से शरद पूर्णिमा का व्रत काफी प्रचलित हो गया

शरद पूर्णिमा के दिन चांद होता है अधिक चमकीला

शरद पूर्णिमा के दिन चांद बेहद ही चमकीला होता है और चंद्रमा की किरणों को अमृत के सामना माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा के चांद के सामने खीर रखने से खीर अमृत के सामान हो जाती है और इस खीर का सेवन करने से रोग सही हो जाते हैं

इस तरह से रखें शरद पूर्णिमा का व्रत

शरद पूर्णिमा के व्रत के दौरान केवल पानी ही पीया जाता है और रात को चांद को अर्घ्य दी जाती है. अर्घ्य देने के बाद चांद की रोशनी में खीर रखी जाती है और इस खीर को रात भर के लिए चांद के सामने रखा जाता है और सुबह इस खीर का सेवन करने के बाद ही व्रत को तोड़ा जाता है. आप ये खीर अपने परिवारवालों को भी बांटें दें.

ये खीर अमृत के सामान होती है और इस खीर को खाने से आप सेहतमंद रहते हैं और आपको किसी भी प्रकार का रोग भी नहीं लगता है. इसलिए आप शरद पूर्णिमा के दिन खीर को चंद के सामने जरूर रखें

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