नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास (Pashupatinath Temple In Hindi)

पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल देश में स्थित है। पशुपतिनाथ मंदिर (pashupatinath temple) एक प्राचीन मंदिर है जो की भगवान शिव को समर्पित है। पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास (pashupatinath temple in hindi) बेहद ही पुराना है। इस दुनिया में कुल दो पशुपतिनाथ मंदिर जिसमें से एक नेपाल में है और एक भारत में। आज हम आपको नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर के बारे में विस्तार में जानकारी देना जा रहे हैं। ताकि आपको इस मंदिर से जुड़ी हर जानकारी मिल सके। तो आइए जानते हैं कि पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास और इस मंदिर से जुड़ी कथा।

पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास

पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास तीसरी सदी ईसा से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि इस मंदिर को 3वीं शताब्दी में बनाया गया था। इस मंदिर का निर्माण किसने करवाया था। इसके बारे में सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन कहा जाता है कि सोमदेव राजवंश के पशुप्रेक्ष ने इस मंदिर को बनवाया था। पशुपतिनाथ मंदिर का कई बार भी  पुन: निर्माण करवाया गया। सबसे पहले इस मंदिर का पुन: निर्माण 11 वीं सदी में करवाया गया था। इसके बाद इस मंदिर को 17 वीं सदी में भी बनाया गया। क्योंकि इसकी हालात बेहद ही खराब हो चुकी थी और इस मंदिर की लड़कियों पर दमक लग चुकी थी।

पशुपतिनाथ का अर्थ

नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर को इस नाम से क्यों पुकारा जाता है, ये सवाल भी कई लोगों के मन में उठता है। दरअसल पशुपतिनाथ (Lord Pashupatinath) दो शब्दों को मिलाकर बनाया गया है। जो कि पुश और पति हैं। पुश का अर्थ जीवन होता है, जबकि पति का मतलब स्वामी होता है। इस मंदिर में चार चेहरे वाला लिंग (pashupatinath shivling) जिसकी वजह से इस ये नाम दिया हया है।

pashupatinath temple photos, पशुपतिनाथ मन्दिर की फोटो
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ये चार चेहरे वाला लिंग चार दिशाओं में है और लिंग के हर एक मुख को नाम दिया गया है। पूर्व दिशा की ओर वाले मुख को तत्पुरुष कहा जाता है। पश्चिम की ओर वाले मुख को सद्ज्योत नाम से जाना जाता है। जबकि उत्तर दिशा वाले को वामवेद है और दक्षिण दिशा वाले को अघोरा नाम दिया गया है।

भारतीय ब्राह्मणों को आमंत्रित किया था

नेपाल देश में राजाओं का राज हुआ करता था और उस दौरान इस मंदिर में पूजा करने के लिए राजाओं ने भारतीय ब्राह्मणों को बुलाया था। जिसके बाद साल 1747 में भारत से ब्राह्मण इस मंदिर में गए थे।

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव यहां पर चिंकारे का रूप धारण कर निद्रा में चले बैठे थे। जब देवताओं ने उन्हें खोजा और उन्हें वाराणसी वापस लाने का प्रयास किया तो उन्होंने नदी के दूसरे किनारे पर छलांग लगा दी। कहा जाता हैं इस दौरान उनका सींग चार टुकडों में टूट गया था। इसके बाद भगवान पशुपति चतुर्मुख लिंग के रूप में यहाँ प्रकट हुए थे।

पशुपतिनाथ मंदिर से जुड़ी कथा ( Pashupatinath Temple History In Hindi)

पुशुपतिनाथ मंदिर की पहली कथा (Pashupatinath Temple History)

पशुपतिनाथ मंदिर की कथा ( pashupatinath temple history) के अनुसार एक बार भगवान शिव चिंकारे का रुप लेकर यहां आए और इस जगह पर आकर निद्रा में चले गए। वहीं जब देवताओं को इस बारे में पता चला तो देवता उन्हें माने के लिए यहां आए। तब चिंकारे ने एक लंबी छलांग लगा दी और इस दौरान उनका सींग चार टुकडों में टूट गया था। इसके बाद भगवान पशुपति चतुर्मुख लिंग में प्रकट हुए।

पशुपतिनाथ लिंग विग्रह में चार दिशाओं में चार मुख और ऊपरी भाग में पांचवां मुख है। प्रत्येक मुखाकृति के दाएं हाथ में रुद्राक्ष की माला और बाएं हाथ में कमंडल है। प्रत्येक मुख अलग-अलग गुण प्रकट करता है। पहला मुख ‘अघोर’ मुख है, जो दक्षिण की ओर है। पूर्व मुख को ‘तत्पुरुष’ कहते हैं। उत्तर मुख ‘अर्धनारीश्वर’ रूप है। पश्चिमी मुख को ‘सद्योजात’ कहा जाता है। ऊपरी भाग ‘ईशान’ मुख के नाम से पुकारा जाता है। यह निराकार मुख है। यही भगवान पशुपतिनाथ का श्रेष्ठतम मुख माना जाता है।

पुशुपतिनाथ मंदिर की दूसरी कथा ( Pashupatinath Temple History)

महाभारत युद्ध खत्म करने के बाद पांडवों ने शिव जी की तलाश में निकल पड़े। ताकि शिव जी उन्हें माफ कर दें और गोत्र दोष से उनकी मुक्ति मिल सके। मगर शिव जी ये नहीं चाहते थे कि पांडवों को अपने रिश्तदारों की हत्या के पाप से मुक्ति मिले। इसलिए जब पांडवों को शिव जी ने देख तो उन्होंने बैल का रूप धारण कर लिया। लेकिन पांडवों को पता चल गया कि ये बैल नहीं बल्कि शिव हैं। पांडवों को अपने पास  आता देख बैल भगाने लगा और इसी दौरा बैल बेहोश हो गया। वहां जब शिव जी अपने असर रुप में आए। तो बैल के शरीर के अलग-अलग टुकड़े गो गए

जिसमें से बैल की सिर नेपाल के पशुपतिनाथ में गिरा। बैल का कूबड़ केदारनाथ में, आगे की दो टांगें तुंगनाथ में नाभि वाला हिस्सा हिमालय, बैल के सींग कल्पनाथ में आकर गिर गया। लेकिन सिर गिरने की वजह से पशुपतिनाथ  प्रसिद्ध हो गया।

pashupatinath temple photos, पशुपतिनाथ मन्दिर की फोटो
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पुशुपतिनाथ मंदिर (pashupatinath temple) में पुशाओं की बलि भी दी जाती है। इस मंदिर में हर वर्ष करोड़ों की संख्या में लोग आया करते हैं। वहीं खूब सारा चढ़ावा पुशुपतिनाथ को चढ़ाया करते हैं और यहां पर हर साल पशुपतिनाथ मेला भी लगता है।

कैसे जाएं पुशुपतिनाथ मंदिर (How To Reach Pashupatinath Temple)

पुशुपतिनाथ मंदिर सड़क और हवाई मार्ग से जुड़ा हुआ है। भारत के कई राज्यों से नेपाल के लिए जहाज उड़ते हैं। वहीं नेपाल में सड़क मार्ग के जरिए भी प्रवेश लिया जा सकता है। वहीं नेपाल में कुछ सालों पहले आए भूंकप से तबाही मच गई थी। लेकिन इस दौरान पुशुपतिनाथ मंदिर को कुछ भी नहीं हुआ और ये मंदिर जैसा था वैसा ही रहा। कहा जाता है कि इस मंदिर को इस तरह से बनाया गया है कि भूंकप भी इसका कुछ नहीं बिगड़ा सका। इस मंदिर का निर्माण पगौड़ा कला से किया गया है और ये मंदिर लड़कियों की मदद से बनाया गया है।

पुशुपतिनाथ मंदिर खुलने का समय (Pashupatinath Temple Timings)

पशुपतिनाथ मंदिर (pashupatinath temple) के दर्शन का समय सुबह 4 बजे से दोपहर 12 बजे तक का है। फिर शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक इस मंदिर को फिर दर्शन के लिए खोला जाता है। मंदिर प्रतिदिन दोपहर से शाम 5 बजे तक बंद रहता है। पशुपतिनाथ मंदिर आरती का समय शाम 6-7: 30 बजे तक है।ये मंदिर बागमती नदी के किनारे पर है और इस मंदिर के आसपास और भी कई सारे मंदिर स्थित हैं।

पुशुपतिनाथ मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय ( Best Time To Visit Pashupatinath Temple)

इस मंदिर में आप मार्च से मई और सितंबर से नवंबर के दौरान ही जाएं। इस समय नेपाल का मौसम अच्छा होता है।

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